गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं का उचित प्रबंधन
गर्मियों के दौरान तापमान में बढ़ोत्तरी होने से दुधारू पशुओंमें तापीय तनाव देखा जाता है, जिसके फलस्वरूप पशुओं की आहार ग्रहण क्षमता घट जाती है। कम आहार ग्रहण करने पर पोषक तत्वों की कमी होने से दुधारू पशुओं के दुग्ध उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गर्मियों के दिनों में पशुओं के आवास प्रबंधन के साथ-साथ आहार प्रबंधन पर ध्यान देने से न केवल उनके दुग्ध उत्पादन में होने वाली कमी को रोका जा सकता है वरन्प्रजनन क्षमता एवं स्वास्थ्य को भी बेहतर रखा जा सकता है।गर्मी के दौरान डेयरी पशुओं में तनाव कम करने के लिए निम्न प्रबंधन उपाय अपनाये जा सकते हैंः-
पशु आवास की लंबवत अक्ष पूर्व पश्चिम-दिशा मेंहोनेके साथ-साथ छत कीऊँचाई अधिक (12 से 15 फीट) रखनी चाहिए
*सूर्य की किरणों को सीधे आवास के अंदर आने से रोकने के लिए दीवार के ऊपर वाले छत के भाग को लगभग एक मीटर तक बाहर निकालने के साथ-साथ आवास के चारों ओर थोड़ी दूरी पर कतार के रूप में छायादार वृक्ष लगाने चाहिए।
*गर्मियों के दिनों में पशुओं को मुक्त या खुली आवास पद्धतिमें रखना चाहिए एवं इसके खुले स्थान में बड़े छायादार वृक्ष लगे होने चाहिए।
*पशु आवास के आसपास का भू-भाग हरा भरा रखने से परावर्तित होकर पशु आवास में प्रवेश करने वाले ऊष्मीय विकिरणों को कम किया जा सकता है।
*गर्म हवा व धूप को पशुओं तक पहुंचने से रोकने के लिए आवास की खिड़कियों पर जूट की बोरी के पर्दे लगा देना चाहिए। इन पर्दो पर दिन के समय पानी छिड़कने से आवास के अंदर की गर्मी को कम करने में मदद मिलती है।
*पशु आवास के अंदर पंखे, कूलर, फब्बारें, फोगर लगाये जाने चाहिए। तापमान के अधिक होने परफब्बारों के साथ साथ पंखे चलाने पर पशुओं को अधिक आराम मिलता है।
*पशुओं को दिन में दो से तीन बार ठंडे पानीसे या फिर तालाब में नहलानाचाहिए। लेकिन यदि दिन के समय तालाब के पानी का तापमान बढ़ जाता है, तो फिर यह उपाय ठीक नहीं है। इसके साथ ही तालाब का पानी गंदा नही होना चाहिए।
*टिन या एस्बेसटास शीट गर्मियों के दिनों में अत्यधिक गर्म हो जाती है। अतः इन छतों के ऊपर ज्वार या बाजरा या मक्का के सूखे तनों के गठ्ठे बनाकर रखे जा सकते हैं या फिर छत को घास-फूस या पुआल से भी ढका जा सकता है।
* टिन या एस्बेसटास शीट की छत के नीचे धान के पुआल का छप्पर या अन्य ऊष्मा के कुचालक पदार्थो की तह बनाई जानी चाहिए, जो छत के गर्म होने से नीचे पशुओं की आने वाले ऊष्मीय विकिरणों को रोकने में मदद करेगी।
*ग्रामीण क्षेत्रों में पौधों की बेलों को छत पर चढ़ा देने से पशु आवास को ठंडा रखने में मदद मिलती है।
*पानी व बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित होने पर छत पर सिं्प्रकलर लगाकर भीषण गर्मी के दौरान टिन या एस्बेसटास शीट की छत को ठंडा रखा जा सकता है। यदि छत को जूट की बोरी से ढक दिया जाए तो और भी बेहतर होगा।
*पशु आवास की छत पर सोलर सिस्टम लगाने से न केवल पशु आवास का तापमान कम करने में मदद मिलेगी बल्कि बिजली का खर्चा भी बचेगा। लेकिन सोलर सिस्टम की लागत अधिक होने से इसका उपयोग सीमित है।
*दुधारू पशुओं को उनकी आवश्यकतानुसार संतुलित राशन दिन में तीन से चार बार में खिलाना चाहिए। दिन के समय आहार कम ग्रहण करने की स्थिति में पशुओं को रात्रि के समय में आहार देना चाहिए।पशुओं को चराने के लिए दोपहर के बजाय सुबह-शाम ले जाना चाहिए।
*पशु आहार में क्षेत्र विशिष्ट खनिज लवण मिश्रण तथा नमक को अवश्य शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही पशुओं को तनाव कम करने वाली औषधियां या फीड सप्लीमेंट भी दिये जा सकते हैं।
*पशुओं को पीने के लिए शीतल जल दिन भर उपलब्ध कराना चाहिए।
*पशुओं को रोजाना उच्च गुणवत्ता युक्त ताजा हरा चारा खिलाना चाहिए। हरा चारा उपलब्ध न होने पर साइलेज खिलाया जा सकता है।
*गेहू के भूसे या पुआल के स्थान पर दलहनी फसलों का सूखा चारा या हे खिलाना चाहिए। इसके लिए मार्च के महीने में बरसीम या ल्यूसर्न को सुखाकर संग्रहित किया जा सकता है।
*गर्मियों के दिनों में खासकर मई जून के महीनों में हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वर्षभर चारा उत्पादन की योजना बनाकर चारा उगाना चाहिए।