मुर्गियों में टीकाकरण विधि, सावधानियां एवं टीकाकरण तालिका
कुक्कुट पालन व्यासाय की सफलता उनकी उचित देखभाल, रहने का स्थान, खाद्य व्यवस्था एवं नियमित स्वच्छता के साथ ही बिमारियों के रोकथाम पर निभर्र करती है । बीमारियाँ जीवाणु , विषाणु, परजीवी द्वारा होती है इनमें विषाणु जनित रोगो का इलाज दवाइयों से संभव नही होता है एवं टीकाकरण ही बचाव का एकमात्र उपाय होता है। विषाणु जनित रोग प्रमुखत: रानीखेत, गम्बोरो, ब्रोंकाइटिस , इसेफेलो माइलाटिस आदि होते है । मुर्गियों में सफल प्रभावी टीकाकरण के लिये आवश्यक बातों का ज्ञान होना जरूरी है अन्यथा टीकाकरण के बाद भी समूह के पक्षी रोगग्रस्त हो जाते है व मृत्यु दर बड़ जाती है एवं उत्पादन / वृद्धि पर विपरीत प्रभाव पड़ने से काफी नुकसान होता है ।
सावधानियां
- टीका हमेशा विश्वसनीय विक्रेता से ही खरीदे । टीका रेफ्रीजरेटर में 2-40 से.ग्रे. पर उचित तरीके से रखा रहना चाहिए ।
- टीका लेते समय उसमें टूट-फूट , खराब दिखने व निधारित उपयोग की अवधी की जॉच कर ले ।
- टीके को हमेशा थर्मस में रखकर लाये यदि लाकर रखा जाना है तो रेफ्रीजरेटर में या थर्मस में 2-40 से.ग्रे. पर रखे। सामान्य ताप में टीके की क्षमता गिर जाती है । टीका लगने पर उचित रोग प्रतिरोध क्षमता नही बनती है ।
- टीकाकरण के लिए दिये गये निर्देश को भलीभांति पड़ ले एवं उसी अनुसार टीका लगाये ।
- टीकाकरण दिन के ठंडे समय में किया जाना चाहिये अर्थात सुबह शाम टीका देना उचित होगा ।
- तैयार किये गये टीके को एक ही बार में समूह के सभी पक्षियों में लगाये ।
- टीकाकरण में बचे हुये टीके को गड्डे में दबा देना चाहिये । फार्म पर खुला न फेंके ।
- आंख नाक से टीका देते समय अतिशीघ्रता न करें एवं टीका चूजों के गले से उतरने पर पक्षीयों को छोड़े ।
- टीकाकरण करते समय टीके की शीशी को ठंडे में रखे ।
- बिमार पक्षीयों में टीकाकरण न करें
- टीकाकरण के समय 1-2 दिन कोई दवाई न दें ।
- टीकारण के उपकरण स्वच्छ रहना चाहिये
टीकाकरण विधि :-
आंख या नाक से टीकाकरण
रानीखेत, गम्बोरो, ब्रोंकाइटिस के चूजो में किये जाने वाले टीके आंख/नाक द्वारा लगाये जाते है हीमीकृत टीका पाउडर की 100, 200, 500, 1000, 2000 खुराक के टीके उपलब्ध है । इसके साथ ही टीका घोलक की शीशी रहती है । इस विधी में इंजेक्शन द्वारा टीका घोलक की थोड़ी सी मात्रा लेकर टीका शीशी में मिलाते है एवं धीमें हिलाकर घोल लेते है । अब इस घुले हुए टीके को इंजेक्शन द्वारा निकाल घोलक की पूरी शीशी में मिला लेते है । अब इस तैयार टीके को ड्रापर में लेकर चूजों की आंख या नाक में एक बूंद छोड़ते है जो गले से नीचे उतर जाती है । टीकाकरण में अतिशीघ्रता न करें । यदि इंजेक्शन न हो तो घोलक एवं हीमीकृत पाउडर के ठक्कन को खोलकर शीघ्र ही घोलक को पाउडर में छोड़कर मिला लेवे फिर इसे वापस पूरे घोलक में डालकर मिलाये । एवं ड्रापर में लेकर टीकाकरण करें ।
पानी द्वारा टीकाकरण
सुबह पीने के पानी के बर्तनों को खाली कर स्वच्छ कर ले । टीका तैयार करने के लिये 35-40 ग्राम दूध पाउडर को एक बड़ी प्लास्टिक बाल्टी में घोले अब दिये गये घोलक को ऊपर बताये अनुसार टीका पाउडर में मिलाये एवं इसे वापस पूरे घोलक में छोड़कर मिला ले । अब इस तैयार टीके को दूध पाउडर मिले पानी में छोड़े । 500 पक्षी है तो 500 खुराक की टीका ले । पीने का पानी कितना लगना है यह निश्चित कर ले तदानुसार टीका तैयार करें । दूध पाउडर से टीके की क्षमता अच्छी बनी रहती है । गर्मी के मौसम में पानी के साथ बर्फ मिलाये जिससे टीके की क्षमता अच्छी बनी रहेगी और घ्यान रहे सभी पक्षी पानी पी ले । इसके लिए सुबह पानी के बर्तन एक घंटा खाली रखें एवं दाना डाल दे। पश्चात पानी देने से सभी पक्षी जल्द ही पानी पी लेते है ।
सुई द्वारा टीकाकरण
मेरेक्स का टीका, रानीखेत आर टू बी एवं अन्य 8-10 सप्ताह बाद किये जाने वाले कुछ टीके त्वचा या मांस से सुई द्वारा दिये जाते है । टीके को दिये गये घोलक में तैयार करते है । स्वचलित टीकाकरण यंत्र (वेक्सीनेटर) भी बाजार में मिलते है । जिनसे टीके की दी जाने वाली मात्रा पहले निर्धारित कर टीकाकरण किया जाता है जिससे हर बार टीकाकरण डोज देखने की आवश्यकता नही होती है । इस विधी में जांघ की मांसपेशी या गर्दन की त्वचा पर टीके लगाये जाते है ।
फुहार द्वारा टीकाकरण
इस विधी में टीका घोल को स्वच्छ स्प्रे संयंत्र में भरकर छिड़काव द्वारा टीकाकरण किया जाता है । स्प्रेयर के नोजल को पक्षीयों के सामने 50-100 सेमी. की दूरी पर रखकर स्प्रे करे जिससे टीका श्वासनली में अवशोषित हो जाता है एवं पक्षियों में प्रतिरोध तंत्र सक्रीय होकर रोग प्रतिरोध क्षमता निर्मित हो जाती है ।
प्रमुख रोगों के लिये टीकाकरण तालिका
अंडे वाली मुर्गियों का टीकाकरण
रोग | टीका | उम्र | खुराक | विधि |
मेरेक्स | मेरेक्स टीका | प्रथम टीका हेचरी में | 0.2 मि.ली. | गर्दन की त्वचा में |
रानीखेत | रानीखेत एफ-1 या बी -1 टीका | 4-7 दिन के चूजों में | एक बूंद (0.03 मि.ली.) | आंख या नाक द्वारा |
गम्बोरो | गम्बोरो/आई.बी.डी. टीका मध्य तीव्रता | 15 वे दिन | एक बूंद (0.03 मि.ली.)अर्थात 500 खुराक का टीका 500 मुर्गियों के लिये | आंख या नाक द्वारा |
रानीखेत | रानीखेत लसोटा टीका | 21-22 वे दिन | (0.03 मि.ली.) अर्थात 500 खुराक का टीका 500 मुर्गियों के लिये | तैयार टीके को पीने के पानी के साथ मिलाकर |
गम्बोरो आई बी डी | गम्बोरो/आई.बी.डी. टीका मध्य तीव्रता | 30-35 वे दिन | (0.03 मि.ली.) अर्थात 500 खुराक का टीका 500 मुर्गियों के लिये | तैयार टीके को पीने के पानी के साथ मिलाकर |
रानीखेत | रानीखेत आर टू बी | 10 वे सप्ताह | 0.5 मि.ली. | जांघ की मांसपेशी में |
रानीखेत | रानीखेत मृत्य टीका | 18 वे सप्ताह | 0.5 मि.ली. | गर्दन की त्वाचा में |
रानीखेत | रानीखेत लसोटा टीका | 35 वे सप्ताह से प्रति दो माह बाद | (0.03 मि.ली.) अर्थात 500 खुराक का टीका 500 मुर्गियों के लिये | तैयार टीके को पीने के पानी के साथ मिलाकर |
यदि रानीखेत मृत्य टीका नही दिया गया है तब रानीखेत लसोटा टीका 18 सप्ताह से प्रति 2 माह बाद लगाये यदि इंफेक्शियस ब्रोन्काइटिस का उस क्षेत्र में प्रकोप है तब इसका सम्मिलित टीका रानीखेत बी-1 के साथ एवं दूसरा टीका 10 से 12 सप्ताह में दें ।
ब्रायलर पक्षीयों के टीकाकरण
रोग | टीका | उम्र | खुराक | विधि |
रानीखेत | रानीखेत एफ-1 या बी -1 टीका | 4-7 दिन में | एक बूंद (0.03 मि.ली.) | आंख या नाक से |
गम्बोरो आई.बी.डी. | गम्बोरो/आई.बी.डी. टीका मध्य तीव्रता का | 15 वे दिन | एक बूंद (0.03 मि.ली.) | पीने के पानी से |
रानीखेत | रानीखेत लसोटा टीका | 21-22 वे दिन | (0.03 मि.ली.) | पीने के पानी से |
गम्बोरो | गम्बोरो/आई.बी.डी. टीका मध्य तीव्रता | 28 वे दिन | (0.03 मि.ली.) | पीने के पानी से |