पशुओं में बीमारी के फैलाव का रोकथाम बहुत ही आवश्यक है। रोग पशुओं के कार्य करने की क्षमता को कम करते हैं। रोग मुख्यता किसी कीटाणु, खराब फीड, रसायनों के कारण हो सकता है। पशुओं में बीमारी का नियंत्रण करने के लिए आमतौर पर निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती हैं –
- पशुओं को स्वच्छ भोजन,पानी एवं आवास प्रदान किया जाना चाहिए
- पशुओं के आवास में पर्याप्त मात्रा में संवातन होना चाहिए एवं घरों के अंदर की सफाई दैनिक रूप से होनी चाहिए।
- उचित मल मूत्र निष्कासन जानवरों में संक्रमण के खतरे को कम करता है।
- पशुओं के आवास के आसपास गंदगी, स्थिर पानी आदि सभी स्थानों की समय–समयपरसफाईकीजानाचाहिए।
- पशुओं के घरों से गंदगी हटाने के बाद, गर्म पानी और सोडे से फर्श की धुलाई करवानी चाहिए जिससे संक्रमण का खतरा बहुत अधिक मात्रा में कम हो जाता है।
- पशुओं को संतुलित आहार प्रदान करना चाहिए जिससे खनिज और विटामिन की पूर्ति हो सके।
- आवधिक मुख्यतः अप्रैल–जून और जुलाई–सितंबर महीने में सभी पशुओं की त्वचा पर कीटनाशक का छिड़काव ( डीडीटी, साइपरमैथरीन, डेल्टामैथरीन ) करवाना चाहिए जिससे बाहरी परजीवो का खतरा कम हो जाता है।
- सभी पशुओं का टीकाकरण आवश्यक रूप से होना चाहिए।
- अलग–अलग उम्र के पशुओं को अलग–अलग घरों रखना चाहिए जैसे युवा पशु आमतौर पर वयस्कों की तुलना में परजीवीयों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं इसीलिए युवा पशुओं को व्यस्त जानवरों से अलग रखा जाना चाहिए।
- बाहर से आने वाले सभी पशुओं को कम से कम 30 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन करना चाहिए।
- बीमार जानवरों को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए एवं बीमार जानवरों और स्वस्थ जानवरों के लिए पानी और चारे का अलग–अलग प्रबंधन करना चाहिए।
- संक्रमित बीमारी से मरने वाले पशुओं के शवों को ठीक से दफन करना / जलाकर निपटाया जाना चाहिए।
मुख्यतः पशुपालकों द्वारा पशुओं की देखभाल एवं उचित प्रबंधन पशुओं में रोगों के फैलाव का रोकथाम में बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसा तभी संभव हो सकता है जब पशुपालकों को पशुओं के रोगों के फैलाव की सही जानकारी और उनका सही तरीके से प्रबंधन की जानकारी हो। अच्छे पशुधन प्रबंधन से बीमारी के फैलाव से बचा जा सकता है।